PBK NEWS | नई दिल्ली। दिल्ली में वायु प्रदूषण की लगातार बढ़ती समस्या के लिए वाहनों की भीड़ को बड़ा कारण माना जाता है। इससे चिंतित सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली में प्रवेश करने वाले व्यावसायिक वाहनों से पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ईसीसी) वसूला जा रहा है। पिछले लगभग तीन वर्षों में व्यावसायिक वाहनों से 900 करोड़ रुपये से ज्यादा पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क वसूला गया है।
यदि इस राशि का सदुपयोग होता तो दिल्ली की आबोहवा सुधारने में जरूर मदद मिलती। लोगों को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मिलती और बच्चों को पढ़ाई छोड़कर घर में नहीं बैठना पड़ता, लेकिन सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं दिख रही है। यही कारण है कि वाहनों से जो राशि वसूली गई उसमें से नाम मात्र ही खर्च हो सका है। इसलिए विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है।
हेल्थ इमरजेंसी का सामना करना पड़ रहा है
6 नवंबर, 2015 से नगर निगम ईसीसी वसूल कर दिल्ली सरकार को दे रहे हैं। इस वर्ष 12 अक्टूबर तक 85.45 लाख वाहनों से लगभग 971.45 करोड़ रुपये वसूले गए हैं, लेकिन इसका लाभ दिल्लीवासियों को नहीं मिल रहा है। सरकार की लापरवाही से इस वर्ष भी सर्दी शुरू होने से पहले ही राजधानी के लोगों को हेल्थ इमरजेंसी का सामना करना पड़ रहा है। हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक से भी काफी ऊपर पहुंच गया है।
दिल्ली सरकार जिम्मेदार
विपक्ष इस स्थिति के लिए सीधे तौर पर दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि पर्याप्त वित्तीय संसाधन होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल सरकार ने पर्यावरण संरक्षण या सुधार के लिए कुछ नहीं किया है। पिछले तीन वर्षों में सरकार को ईसीसी के रूप में अच्छा खासा फंड मिला, लेकिन इसमें से नाम मात्र की राशि ही वह खर्च कर सकी है। सरकार को बताना चाहिए कि पैसे होने के बावजूद उसने दिल्ली में पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई काम क्यों नहीं किया है?
गंभीर नहीं है दिल्ली सरकार
दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या हल करने को लेकर गंभीर नहीं है। उसे दिल्ली के लोगों की सेहत से कोई लेना-देना नहीं है। यदि सरकार ईसीसी का सदुपयोग करती तो लोगों को प्रदूषण की समस्या से राहत मिल सकती थी। सरकार काम करने के बजाय सिर्फ बहानेबाजी करने और केंद्र सरकार से लड़ाई करने में व्यस्त रही।
NEWS SOURCE :- www.jagran.com
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