गुरूग्राम, 30 मई (राठौर) : गुरूग्राम में बढ़ते कोरोना के मामले को देखते हुए अब शासन प्रशासन के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गई हैं। पिछले 1 सप्ताह से कोरोना के आ रहे मामलों ने सबको हिला कर रख दिया है। बतादें कि गुरुग्राम में शुक्रवार रात तक कोरोना के 520 मामले आ चुके हैं, जिसमें 200 से अधिक मामले इसी सप्ताह में आए हैं, जो हैरान करने वाले हैं। गुरूग्राम में कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर वरिष्ठ नेता गजे सिंह कबलाना ने शासन प्रशासन से मांग की है कि गुरूग्राम हरियाणा प्रदेश का एक महत्वपूर्ण शहर ही नहीं बल्कि आर्थिक राजधानी है। गुरुग्राम को बचाने के लिए सरकार को एक अलग तरह की पहल करनी होगी। देशभर में कोरोना के संक्रमण में टॉप टेन शहरों में दिल्ली का नाम है और गुरुग्राम दिल्ली से सटा हुआ है, जहां ज्यादातर लोगों का दिल्ली से आना जाना है जिसे ध्यान में रखते हुए यहां प्रदेश के अन्य जिलों से हटकर काम करने की जरूरत है। सरकार गुरुग्राम में जांच प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए व्यवस्थाएं बढ़ाए। गजे सिंह कबलाना ने कहा कि प्राइवेट लैब के सहारे गुरुग्राम में कोरोना जांच करना संभव नहीं है, क्योंकि यहां ज्यादातर लोग कामगार हैं, जिनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है, जबकि पूरे गुरूग्राम में 20 लाख से अधिक लोग रहते हैं, जो जनसंख्या हरियाणा के अन्य 5 जिलों के बराबर है। इतनी बड़ी जनसंख्या यहां पर इस स्थिति में नहीं है कि वह साड़े चार हजार रुपए फीस देकर कोरोना का टेस्ट कराए, ऐसी स्थिति में सरकार को खुद जांच प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कदम उठाना होगा। इसके साथ ही गजे सिंह कब लाना ने मांग की है कि गुरुग्राम में नगर निगम के पास पैसों की कमी नहीं है। इस बीमारी को रोकने के लिए पूरे गुरुग्राम को सेनीटाइज करने की जरूरत है। अभी बहुत सी कालोनियां हैं जहां सेनीटाइज का काम नहीं हुआ है। गुरुग्राम में अगर मशीनें खरीदने की जरूरत है तो खरीदी जाएं, शहर को सुरक्षित रखने के लिए सैनिटाइजेशन का काम महत्वपूर्ण है। इस स्थिति में नगर निगम की ओर से ज्यादा से ज्यादा संख्या में सेनीटाइज मशीनें खरीदकर एक ऐसा अभियान चलाया जाए जिससे कि शहर को स्वच्छ और सुरक्षित किया जा सके। गजे सिंह कबलाना ने कहा कि मौजूदा हालात में प्रशासन की ओर से जो जांच की व्यवस्थाएं हैं वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं। ऐसी व्यवस्थाएं सिर्फ बरगलाने जैसी लगती हैं। इसलिए शासन और प्रशासन मिलकर अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाया तो लोगों को अपनी मांगों के लिए व इस बीमारी से बचाव के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिसकी जिम्मेदारी सरकार व प्रशासन की होगी।
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