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निपाह वायरस संक्रमण से करें बचाव

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पिछले कुछ दिनों से निपाह वायरस के चलते तकरीबन दो दर्जन लोगों की मौते होने से लोग डर हुए हैं। निपाह वायरस चमगादड़ों की लार से फैलता है। चमगादड़ (बैट) जब किसी फल के संपर्क में आते हैं तो यह वायरस उन फलों में भी आ जाता है। इसके बाद जब कोई इंसान इन फलों को खाता है तो ये वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इस संकमण से फैली बीमारी का अभी कोई पक्का इलाज नहीं है। इसलिए ऐसे फलों और इस बीमारी से पीड़ित लोगों से दूर रहें।
निपाह एनआईवी वायरस : यह एक ऐसा संक्रमण है जो फ्रूट बैट्स (खजूर आदि फलों) के जरिए जानवरों और इंसानों को अपनी चपेट में ले लेता है। सबसे पहले साल 1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई निफा में इसके मामले सामने आए थे। यह संक्रमण् सबसे पहले सुअरों में देखा गया पर बाद में यह वायरस इंसानों तक भी पहुंच गया। साल 2004 में बांग्लादेश में निपाह वायरस संक्रमण से कई लोग पीड़ित हुए थे।
एक रिपोर्ट के अनुसार निपाह खजूर की खेती करने वाले लोग फ्रूट बैट की चपेट में आ जाते हैं जिससे एक शख्स से दूसरे शख्स में यह वायरस फैलता है। निफा वायरस के शुरुआती दौर में पीड़ित शख्स को सांस लेने की दिक्कत के साथ इंसेफ्लाइटिस जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी से पीड़ित शख्स को गहन चिकित्सा इकाई में रखना पड़ता है।
संक्रमण के लक्षण : इससे पीड़ित लोगों के दिमाग में सूजन आ जाती है। बुखार, सिरदर्द, उल्टी और चक्कर आना भी इस संक्रमण के लक्षण हैं। इस वायरस से पीड़ित व्यक्ति कोमा में जा सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है। यह संक्रमण इतना खतरवाक है कि इससे पीड़ित व्यक्ति 24 से 28 घंटों में कोमा में पहुंच सकता है।
बचाव : इस वायरस से बचाव के लिए रिबावायरिन नामक दवाई का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाला संक्रमण है, इसलिए इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनानी चाहिए या अधिक सावधानी बरतने से ही इस खतरनाक वायरस से बचा जा सकता है। इसके साथ ही कटे-फटे फल भी नहीं खायें। उन फलों को भी नहीं खायें जिन्हें किसी पक्षी ने खाया हो।
वहीं एक अन्य लेब रिपोर्ट में कहा गया है कि चमगादड़ों में यह वायरस नहीं पाया गया है जिससे संशय बरकरार है कि यह संक्रमण किस पक्षी से फैलता है।

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