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सुप्रीम कोर्ट हुआ पेपरलेस

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PBK NEWS | नई दिल्ली। डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहे भारत का सुप्रीम कोर्ट भी डिजिटलाइज हो गया है। सुप्रीम कोर्ट पेपर लेस हो गया है। मुकदमों की मोटी मोटी फाइलों का गट्ठर सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों के बगल से गायब हो गया है। गर्मी की छुट्टियों के बाद पहले दिन नियमित कोर्ट लगी तो एक नंबर कोर्ट से लेकर पांच नंबर कोर्ट तक यानी पांच अदालतों का पूरी तरह डिजीटलाइजेशन हो चुका था।

सोमवार को इन अदालतों में न्यायाधीशों ने कंप्यूटर पर ही केस पढ़ कर सुनवाई की। वकील कहते थे माई लार्ड पेज नंबर 125 का पैरा चार देखिए और माई लार्ड अपने सामने मौजूद कंप्यूटर स्क्रीन पर तुरंत वही पेज खोल लेते थे। न्यायाधीशों के पास डिजिटल फार्म मे पूरी फाइल और दस्तावेज मौजूद थे। यहां तक कि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल विशेष अनुमति याचिकाओं में न्यायाधीशों के पास हाईकोर्ट का रिकार्ड भी कंप्यूटर पर मौजूद था। वे वकील को बता रहे थे कि जिस दस्तावेज का वे हवाला दे रहे हैं हाईकोर्ट के रिकार्ड में उस दस्तावेज पर कोई हस्ताक्षर नहीं है। वकील ने जब अपनी तरफ से हस्ताक्षरित फोटो कापी देनी चाही तो न्यायाधीशों ने लेने से इन्कार कर दिया और कहा कि आपने हाईकोर्ट मे हस्ताक्षरित कापी दाखिल नहीं की थी।
बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट मे अब नये केस आन लाइन दाखिल होते है। हाईकोर्ट का रिकार्ड उस केस का हाईकोर्ट नंबर डालते ही साथ संलग्न हो जाता है। एक नंबर से पाँच नंबर कोर्ट यानी पाँच अदालतों मे नये केस सुनवाई के लिए लगाए जाते है और न्यायाधीश कंप्यूटर पर सुनवाई करते हैं। हालाँकि बहस कर रहे वकील अभी भी फ़ाइल से बहस करते हैं । दिन भर की सुनवाई मे सिर्फ़ एक वकील ही लैपटाप लेकर बहस करने आया था।

सारे दिन की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट नंबर एक मे मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ जब सिस्टम बंद करने लगे तो जस्टिस खेहर ने जस्टिस चंद्रचूड़ को दिन भर का काम और अपने नोट्स आदि सेव करने के बारे मे कुछ समझाया। इस बीच अदालत कक्ष मे मौजूद वकील आदि माननीय न्यायाधीशों के उठने का इंतज़ार करते रहे। इस देरी के लिए मुख्य न्यायाधीश ने इंतज़ार कर कहे वकीलों से उन्हें हुई असुविधा के लिए सॉरी भी बोला।

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