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उन्नाव में लगातार बढ़ती जा रही एचआइवी संक्रमित लोगों की संख्या

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उन्नाव। उत्तर प्रदेश सरकार के तमाम दावों के बाद भी लोग सस्ता इलाज के चक्कर में झोलाछाप डॉक्टर की शरण में हैं। इसके सबसे बड़ा खामियाजा उन्नाव के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। लखनऊ से सटे उन्नाव जिले में एक ही सिरिंज के कई लोगों को इंजेक्शन लगाने के मामले में एचआइवी के संक्रमण से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।

उन्नाव के बांगरमऊ के गांव चकमीरापुर के 20 और संदिग्ध एचआईवी पाजिटिव आज हसनगंज के आईसीटीसी केंद्र पर जांच के लिए पहुंचे। यह लोग ऐसे हैं जो काफी समय से भयवश अपने अपने घरों में थे और लोकलाज के कारण जांच नहीं करा रहे थे। राज्य और केंद्र की टीम के मुआयने और इलाज का भरोसा दिलाये जाने के बाद और लोग भी जांच के लिए सामने आए। इस सभी की शुक्रवार शाम तक ब्लड रिपोर्ट आने की उम्मीद है।

उन्नाव में एचआइवी के संक्रमण की जद में अब तक चार दर्जन से अधिक लोग हैं। इनकी संख्या दिन पर दिन बढऩे की ही संभावना है। जिले में अभी भी एक कस्बे के करीब 5000 लोग एक अजीब तरह के अनजाने डर के साये में जी रहे हैं।

एक ही सीरिंज से इंजेक्शन लगाने वाले झोलाछाप डॉक्टर राजेंद्र यादव को कल गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद भी जिले के करीब 5000 लोगों की आबादी वाले प्रेमगंज कस्बे में लोग तरह-तरह की आशंकाओं से घिरे हैं। ऐसे ही एक शख्स दीप चंद (परिवर्तित नाम) को अब पछतावा हो रहा है कि काश वह उस झोलाझाप डॉक्टर के पास नहीं गए होते। कुछ महीनों पहले तक वह पास की ही अनाज मंडी में पल्लेदारी करते थे। कुछ महीनों पहले उन्हें दिक्कत होने लगी, उन्हें कमर में दर्द रहने लगा। जिसके बाद वह बांगरमऊ में स्टेशन रोड स्थित राजेंद्र यादव के क्लिनिक पर गए। यहीं से उनकी परेशानियां शुरू हुईं। उन्हें यहां अपने दर्द की दवा तो नहीं मिली, पर एक गंभीर बीमारी की चपेट में वह जरूर आ गए।

बांगरमऊ में स्टेशन रोड पर राजेंद्र यादव के इस क्लिनिक पर न केवल दीप चंद, बल्कि उस कस्बे में रहने वाले बहुत से लोग पहुंचते रहे हैं। यह उनके लिए किफायती था और यहां दवाओं के लिए बहुत खर्च नहीं करना पड़ता था। यह किफायती क्लीनिक उनके लिए अब मुसीबत बन गई। पिछले महीने प्रेमगंज में एनजीओ की एचआइवी जांच के लिए लगे एक शिविर में दीपचंद, उनकी पत्नी और बेटे का टेस्ट पॉजिटिव आया, जिसके बाद इलाज के लिए अब हर रोज उन्हें 50 किलोमीटर दूर कानपुर एआरटी (एंटी रेट्रो वायरल) सेंटर जाना पड़ता है। यहां दवाएं और बाकी चीजें भले ही नि:शुल्क हैं, लेकिन यहां आने-जाने का खर्च भी उनके लिए परेशानी का एक बड़ा कारण है।

दीपचंद की चार बेटियां भी हैं, जिनका टेस्ट उसने बस इसलिए नहीं कराया, क्योंकि वह किसी भी और बुरे नतीजे के लिए तैयार नहीं थे। वह कहते हैं कि मैं फिट नहीं हूं। मैं अब पहले की तरह नहीं कमा पाता। अगर उनका भी टेस्ट पॉजिटिव आता है तो मैं क्या करूंगा? हां, दवाएं निश्शुल्क हैं, पर मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं छह लोगों को लेकर कानपुर जाऊं-आऊं।

एचआइवी वायरस के संक्रमण वाले दो और गांव पास के ही चकमीरा और किदमियापुर हैं, जहां इससे संक्रमित लोगों में 70 वर्ष के एक बुजुर्ग से लेकर छह वर्ष तक की बच्ची भी शामिल है।

गांव के ही युवक दीपू का हावाला देते हुए कहा गया है कि राजेंद्र यादव सुबह 9 बजे क्लिनिक खोलता था और रात के 11 बजे तक मरीजों को देखता था। दिनभर में उसके पास करीब 150 मरीज पहुंचते थे, जिनसे वह दवाओं की तीन खुराक और एक इंजेक्शन के लिए महज 10 रुपये लेता था। वह अपने पास एक झोला रखता था और उसी में मेडिकल किट भी होती थी। इस किट में इस्तेमाल में लाई जा चुकी सीरिंज भी होती थी, जिसे वह हैंड-पंप के ही पानी से ही धो लेता था और फिर उसी से किसी अन्य मरीज को इंजेक्शन लगा देता था।

प्रेमगंज पिछले साल नवंबर में स्वास्थ्य अधिकारियों के रडार पर तब आया था, जब इस कस्बे के 13 लोग एचआइवी से संक्रमित पाए गए। उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की ओर से आयोजित जांच शिविर में उनका टेस्ट पॉजिटिव आया। जनवरी में तीन अन्य जांच शिविर भी लगे, जिसमें 25 अन्य लोगों का टेस्ट पॉजिटिव आया। इसके बाद तो यहां के लोगों में डर इस कदर बैठ गया है कि वे अब जांच ही नहीं कराना चाहते।

एआरटी सेंटर पर बांगरमऊ के सात लोग आए थे, एक को एचआईवी पॉजिटव था। महिला की दवाएं शुरू कर दी गई हैं। इस महिला को लेकर अब तक बांगरमऊ के कई मोहल्लों और गांवों के 23 पॉजिटव मरीज एआरटी सेंटर पर इलाज करा रहे हैं। इनमें 15 साल की एक बच्ची और 70 वर्षीय एक बुजुर्ग भी शामिल हैं। फिलहाल मरीजों की काउंसिलिंग की गई है। इन मरीजों में कुछ मरीजों के खून के नमूने दोबारा जांच को लखनऊ भेजे गए हैं। 13 लोगों की पुष्टि तो नवम्बर में हो चुकी थी। नए आ रहे हैं। फरवरी के अंत तक दवाओं के लिए फॉलोअप में मरीज आएंगे। एआरटी सेंटर के डॉक्टरों और काउंसलरों का कहना है कि अभी और मामले सामने आएंगे। कुछ लोगों में वायरस का असर देर से देखा गया है।

सेंटर पर दर्ज की गई केस हिस्ट्री

एआरटी सेंटर पर सभी मरीजों का पंजीकरण कर केस हिस्ट्री दर्ज की गई है। सीडी-4 काउंट के लिए खून के सैंपल लेकर दवाएं दी गई हैं। डॉक्टरों के मुताबिक सभी खेती किसानी से जुड़े लोग हैं। संक्रमितों में कोई ऐसा लक्षण नहीं मिला, जिससे यह कहा जा सके कि संक्रमण किसी अन्य माध्यम से हुआ है। इंजेक्शन ही कारण बताया जा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग पता ला रहा कारण एआरटी सेंटर प्रभारी, डॉ. चमन का कहना है कि आईसीटीसी के सहयोग से बांगरमऊ में लगाए गए हेल्थ शिविर में अभी चकमीरापुर, करीमपुर और प्रेमगंज से अधिक मरीज सामने आए हैं। इनमें सबसे अधिक प्रेमगंज से है। इनमें नौ महिलाएं और 13 पुरुषों के साथ एक बच्ची भी शामिल है। सभी ने झोलाछाप से इलाज कराने की बात कही है। 15 वर्ष की बच्ची को एचआईवी कैसे हो सकता है। उसके मां बाप की जांच की गई। कभी ब्लड भी नहीं चढ़वाया। ऐसे में इंजेक्शन वजह हो सकती है।

News Source :- www.jagran.com

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