गुरुग्राम, 12 फरवरी (अजय) : ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के सहायक महाप्रबंधक डा. दलजीत सिंह सांगवान द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘ए वंडरफुल बैंक-एैन एक्सपिरियंस ’ का विमोचन गुरुग्राम में आयोजित कार्यक्रम में बैंक के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ मुकेश कुमार जैन ने किया।
इस पुस्तक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का 75 वर्षो का गौरवपूर्ण इतिहास लेखक द्वारा संजोया गया है। बैंक की 19 फरवरी 1943 को लाहौर में स्थापना से शुरू करकेे बैंक की स्थापना की यात्रा का वर्णन इस पुस्तक में किया गया है। लेखक डा. दलजीत सिंह सांगवान ने पुस्तक में बताया है कि देश के बंटवारे के बाद बैंक का मुख्यालय 1947 में अमृतसर में स्थानांतरित हुआ और उसके बाद 1951 में नई दिल्ली में शिफट किया गया। सन् 2012 फरवरी से ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का कॉर्पोरेट कार्यालय गुरुग्राम में भी खोला जा चुका है। पुस्तक में बताया गया है इस बैंक का 1980 में राष्ट्रीयकरण किया गया और उस समय 20 राष्ट्रीयकृत बैंको में यह 19वें स्थान पर था। अब बिजनेस के मामले में यह बैंक सभी सार्वजनिक उपक्रम बैंको में पहले 10 स्थानों में है।
ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के प्रबंधक निदेशक एवं सीईओ मुकेश कुमार जैन ने पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लेखक ने इस पुस्तक में विभिन्न अनुसंधान अध्ययनों तथा साक्षात्कारों व अपने अनुभव को सुंदर तरीके से संकलित किया है। पुस्तक में 9 अध्याय हैं, पहले 5 अध्यायों में बैंक की फरवरी 1943 से लेकर सितंबर 2017 तक की 75 वर्ष की यात्रा का वर्णन किया गया है और आगे के 4 अध्यायों में बैंक में हुए महत्वपूर्ण प्रसंगों तथा बैंक की कार्यप्रणाली को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में चर्चा की गई है।
श्री जैन ने कहा कि बैंक द्वारा कार्यकुशलता को बेहतर बनाने तथा अनुपालना कार्यक्रम को मजबूत बनाने के लिए ‘प्रोजैक्ट उद्भव’ नामक एक नया प्रयोग किया गया था जिसका वर्णन भी इस पुस्तक में किया गया है। पुस्तक में लेखक द्वारा नई प्रणाली का ज्यादा से ज्यादा लाभ लेने के लिए आवश्यक बैंक की टॉप मैनेजमेंट के ध्यानार्थ कुछ विषयों को भी उठाया गया है। उन्होंने बताया कि पुस्तक के 7वें अध्याय में बैंक के विकास में उसकी युनियन की भूमिका की भी चर्चा की गई है। लेखक ने पुस्तक में लिखा है कि श्री एम के विज और श्री एस के सोनी की अध्यक्षता के समय युनियन का बैंक के कामकाज में काफी सहयोग रहा। लेखक का मानना है कि युनियन को किसी भी संस्थान की ग्रोथ में पार्टनर के तौर पर मानना चाहिए। सीएमडी श्री विज ने अपने विदाई भाषण में कहा था कि युनियन और सीएमडी एक दूसरे के पूरक हैं और दोनो का उद्देश्य संस्थान अर्थात् बैंक का विकास था जिस मिशन में हम सफल रहे।
डा. डी एस सांगवान के बैंक में वरिष्ठ पद पर रहते हुए 35 प्रकाशन हो चुके हैं जिसमें 6 पुस्तके, 4 अनुसंधान अध्ययन तथा विभिन्न राष्ट्रीय जरनलों में 25 से अधिक अनुसंधान लेख शामिल हैं। विमोचन कार्यक्रम में डा. सांगवान ने कहा कि पुस्तक लिखने का उद्देश्य केवल बैंक की कार्यप्रणाली का विशलेषण करना नहीं अपितु कर्मचारियों को और बेहतर कार्य करने के लिए उत्साहित करना है ताकि वे सभी टीम वर्क के तौर पर बैंक को और भी उपर ले जा सकें। विमोचन कार्यक्रम मे बैंक के महाप्रबंधक एच के बत्रा तथा कार्यकारी निदेशक हिमांशु जोशी तथा लेखक स्वयं हैं।
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