सिंगापुर : ईरान पर आर्थिक प्रतिबंधों के कारण इस साल के अंत तक या अगले साल के आरंभ तक अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। इस प्रतिबंध से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें नई ऊंचाई पर पहुंचने की आशंका है।
वहीं तेल निर्यातक देशों के प्रमुख संगठन ओपेक ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस आह्वान को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने ओपेक से उत्पादन बढ़ान की अपील की थी। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद अल-फालिह ने कहा कि मैं कीमतों को प्रभावित नहीं करता। ओपेके के इनकार के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है।
एशिया प्रशांत पेट्रोलियम सम्मेलन में कॅमोडिटी कारोबारी कंपनियों ट्राफिगुरा और मरक्यूरिया एनर्जी ट्रेडिंग के अध्यक्ष डेनियल जेग्गी ने कहा कि ईरान पर अमरीकी प्रतिबंध के कारण इस साल के अंत तक बाजार में कच्चे तेल की दैनिक उपल्ब्धता करीब 20 लाख बैरल कम हो जाएगी। प्रतिबंध के कारण कच्चे के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच सकते हैं।
जेग्गी ने कहा कि इस साल की अंतिम तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान बड़ा उथल-पुथल देखा जा सकता है जो ईरान पर लगने वाले प्रतिबंध की अवधि और उसके आकार पर निर्भर करेगा। आपूर्ति में अचानक 20 लाख बैरल रोजाना की कमी के लिए बाजार बिल्कुल तैयार नहीं है। ट्राफिगुरा के तेल कारोबार के सह प्रमुख बेन लुकॉक ने कहा कि क्रिसमस तक कच्चा तेल के दाम 90 डॉलर प्रति बैरल तक और नव वर्ष तक 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं।
जानकारों का कहना है कि अमरीका ने ईरान पर वित्तीय प्रतिबंध पहले ही लगा दिए हैं। वह 4 नवंबर से उसके कच्चा तेल के निर्यात पर प्रतिबंध के साथ साथ अन्य देशों पर ईरानी क्रूड के आयात पर प्रतिबंध के लिए दबाव बना रहा है।
उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोमवार को ब्रेंट क्रूड के दाम 2.14 डॉलर (यानी 2.7 प्रतिशत चढ़कर) 80.94 डॉलर तक पहुंच गए जो नवंबर 2014 के बाद का उच्चतम स्तर है। हालांकि बाद में थोड़ी नरमी के साथ यह 80.75 डॉलर प्रति बैरल पर रहा। अमरीकी लाइट क्रूड का वायदा भी 1.25 डॉलर महंगा होकर 72.03 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
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