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पर्यावरण को बचाने में गम्भीर नही गुरुग्राम प्रशासन, आने वाले दिनों में होगा मुश्किल जीना

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गुड़गांव (अजय) : साइबर सिटी देश ही नहीं दुनिया का एक नायाब शहर है। इसे उत्तर भारत का मुंबई भी कहा जाता है। यह शहर आधुनिकता और त्वरित विकास का नया आयाम गढ़ रहा है। यहां की गगनचुंबी इमारतें और लाइफस्टाइल उन सभी को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है जो यहां नहीं रहते। इन सभी के बावजूद यहां के बा¨शदे पिछले पांच सालों से काफी परेशान हैं। कारण है दिन-प्रति-दिन यहां की खराब होती आबोहवा। यहां का हर शख्स अपनी सांसों के जरिए जहर अपने अंदर खींच रहा है। डार्क जोन में पहुंच चुके गुरुग्राम में भूमिगत जल स्तर भी काफी चिंताजनक है। यही भयावह स्थिति सभी को गहन चिंता में डाल रही है। पर्यावरणविदों का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण के नाम पर महज दिखावा नहीं बेहतर प्रबंधन की जरूरत है। ऐसा नहीं होगा तो आने वाले वर्षो में गुरुग्राम रहने योग्य नहीं बचेगा।
आज मंगलवार को विश्व पर्यावरण दिवस है। इसे लेकर शासन, प्रशासन, गैर-सरकारी संगठनों और आरडब्ल्यूए द्वारा पौधरोपण और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। मगर अरावली बचाने, वनों को बचाने, विकास के नाम पर काटे जाने वाले पेड़ों को बचाने के लिए कोई ठोस नीति और उपाय नहीं होगा। जिसके प्रति सरकार बिल्कुल गम्भीर नही है जिससे आने वाले कुछ वर्षों में यहां जीवन जीना और गम्भीर हो जायेगा

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