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गरीब जनता के हित में निजी अस्पतालों के लिए बने स्पष्ट निति

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निजी अस्पतालों के खिलाफ शिकायतों के निस्तारण की कोई पारदर्शी और निष्पक्ष व्यवस्था नहीं है। ले-देकर पीड़ित व्यक्ति के पास उपभोक्ता फोरमों का सहारा होता है। उपभोक्ता फोरमों की हालत यह है कि वहां शिकायतों का निस्तारण लंबे समय तक नहीं हो पाता। ज्यादातर फोरमों में सदस्यों की नियुक्ति भी समयानुसार नहीं होती। ये सारी परिस्थितियां गुनाह करने वाले अस्पतालों के पक्ष में जाती हैं, जिसका फायदा वे उठाते रहते हैं। ऐसे में कानूनों और नियमों का पालन कौन कराएगा। ऐसे में इस व्यवस्था को लेकर जरुर ठोस कदम उठने चाहिए

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