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प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव डॉ. पी.के. मिश्र ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से संबंधित उच्चस्तरीय कार्य बल की बैठक की, की अध्यक्षता

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नई दिल्ली,14 अक्टूबर। प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव डॉ. पी.के. मिश्र ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से संबंधित उच्चस्तरीय कार्य बल की बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक सर्दियों के मौसम के निकट आते ही दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रतिकूल वायु गुणवत्ता की समस्या से निपटने के लिए विभिन्न हितधारकों द्वारा की जाने वाली तैयारियों की समीक्षा के लिए आयोजित की गई थी।

बैठक के दौरान, प्रमुख सचिव ने औद्योगिक प्रदूषण; वाहनों से होने वाले प्रदूषण; निर्माण एवं विध्वंस (सी एंड डी) की गतिविधियों से निकलने वाली धूल; सड़कों एवं आरओडब्ल्यू से होने वाली धूल; नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू) को जलाने से होने वाले प्रदूषण, बायोमास एवं विविध अपशिष्टों से होने वाले प्रदूषण; कृषिगत अवशेषों को जलाने से होने वाले प्रदूषण; और बिखरे हुए स्रोतों से होने वाले प्रदूषण सहित वायु प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों से होने वाले प्रभावों को कम करने के लिए किये जा रहे विभिन्न उपायों के बारे में विस्तार से चर्चा की। बैठक के दौरान वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हरियाली एवं वृक्षारोपण से जुड़ी पहल पर भी विचार-विमर्श किया गया।

प्रमुख सचिव ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के कार्यान्वयन, इसकी निगरानी और क्षेत्र स्तर पर इसके कार्यान्वयन में सुधार के उपायों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता की गिरावट को रोकने के लिए सभी संबंधित पक्षों द्वारा जीआरएपी में सूचीबद्ध कार्यों का कड़ाई से कार्यान्वयन करना जरूरी है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष डॉ. एम. एम. कुट्टी ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के उद्योगों को स्वच्छ ईंधन की ओर स्थानांतरित किया जा रहा है और 240 औद्योगिक क्षेत्रों में से 211 को पहले ही सीएनजी कनेक्शन प्रदान किया जा चुका है। इसी तरह, 7759 ईंधन-आधारित उद्योगों में से 7449 पीएनजी/अनुमोदित ईंधन पर स्थानांतरित किये जा चुके हैं।

सीएक्यूएम के अध्यक्ष ने यह भी बताया कि ई-वाहनों में वृद्धि हुई है और वर्तमान में एनसीआर में 4,12,393 ई-वाहन पंजीकृत हैं। ई-बसों और बैटरी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या भी बढ़ी है तथा अब दिल्ली में 4793 ईवी चार्जिंग पॉइंट हैं।

निर्माण और विध्वंस (सी-एंड-डी) मलबे के प्रबंधन के संबंध में, सीएक्यूएम ने सूचित किया कि 5150 टन प्रति दिन (टीपीडी) की क्षमता वाली पांच सी-एंड-डी मलबा प्रसंस्करण सुविधाएं चालू हैं और 1000 टीपीडी क्षमता वाली एक और सुविधा दिल्ली में शीघ्र चालू होगी। हरियाणा में, 600 टीपीडी क्षमता वाली सी-एंड-डी सुविधाएं चल रही हैं और 700 टीपीडी शुरू की जाएंगी। उत्तर प्रदेश में, 1300 टीपीडी चल रही हैं और दो सुविधाएं चालू की जाएंगी। सभी राज्यों से सी-एंड-डी मलबा प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने का अनुरोध किया गया है।

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान की पराली जलाने की घटनाओं में कमी सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव ने इन तीनों ही राज्यों के मुख्य सचिवों को इस पर पैनी नजर रखने के निर्देश दिए। उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों के माध्यम से धान की पराली का यथास्थान प्रबंधन करने और जैव-विघटक (बायो-डीकंपोजर) का उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) को संबंधित प्रौद्योगिकी को बेहतर करने की भी सलाह दी। धान की पराली के यथास्थान प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने धान की पराली का आर्थिक उपयोग सुनिश्चित करने पर काम करने की सलाह दी। उन्होंने धान के भूसे के प्रभावकारी यथास्थान उपयोग के लिए गाँठ बांधने, तह लगाने और पेलेटिंग, इत्‍यादि के लिए बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के साथ-साथ गांठदार भूसे के लिए पर्याप्त भंडारण सुविधाएं विकसित करने पर भी जोर दिया। इसके अलावा, थर्मल पावर प्लांट बायोमास में धान के भूसे पर फोकस करने के साथ जैवभार (बायोमास) के सह-दहन के लिए निर्धारित लक्ष्यों का सख्ती से पालन करने पर भी चर्चा की गई।

इस बैठक में सभी प्रमुख हितधारकों जैसे कि भारत सरकार के पर्यावरण, कृषि, बिजली, पेट्रोलियम, सड़क परिवहन और राजमार्ग, आवास और शहरी कार्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालयों के सचिवों ने भाग लिया। समीक्षा बैठक में एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अधिकारियों के अलावा, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और एनसीटी दिल्ली के प्रमुख सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/डीपीसीसी के अधिकारीगण भी उपस्थित थे।

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