PBK NEWS| नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ब्याज दरों में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाने के लिए बैंकों को दोषी ठहराया। आरबीआई ने कहा कि वह कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर प्रणाली (एमसीएलआर) से असंतुष्ट है और वह बाजार आधारित नए मानक पर विचार कर रहा है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि बैंकों के पास अब भी पर्याप्त गुंजाइश है कि वो कुछ क्षेत्रों के लिए ब्याज दरों में कमी ला सकता है।
आरबीआई की 2017-18 की तीसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा, “ग्राहकों को नीतिगत दर में कटौती का लाभ बेहतर तरीके से देने को लेकर अप्रैल 2016 में पेश एमसीएलआर का अनुभव पूरी तरह संतोषजनक नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई ने एमसीएलआर सिस्टम के विभिन्न पहलुओं के अध्ययन और बैंक ब्याज दर को सीधे बाजार को निर्धारित करने वाले मानकों से जोड़ने की संभावना तलाशने को लेकर आंतरिक अध्ययन समूह गठित किया है। उन्होंने कहा कि समूह इस साल 24 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट दे देगा। उन्होंने यह भी कहा कि फंसे कर्ज एनपीए के मोर्चे पर जारी समाधान प्रक्रिया से ग्राहकों को दर में कटौती का बेहतर तरीके से लाभ दिया जा सकेगा क्योंकि बैंक की बैंलस शीट पर दबाव कम होगा।
गौरतलब है कि बुधवार को आरबीआई ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट ने चौथाई फीसद की कटौती कर दी है। इस फैसले ने सस्ते कर्ज की राह को और आसान कर दिया है। इस रेट कट को लेकर उद्योग चैंबर से लेकर बैंक ऑफ अमेरिका मैरिल लिंच ने भी अनुमान लगाया था।
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