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रोहिंग्या की वापसी: UN ने भारत के कदम की निंदा की

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जिनेवा : संयुक्त राष्ट्र ने सात रोहिंग्याओं पर अत्याचार होने की चेतावनी के बावजूद उन्हें भारत द्वारा म्यामां को प्रत्यर्पित किये जाने की शुक्रवार को आलोचना की. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि उसे उन सात व्यक्तियों की सुरक्षा की बड़़ी चिंता हो रही है जो बृहस्पतिवार को भारत से म्यामां लौटे.

आव्रजन अपराधों में वर्ष 2012 से हिरासत में बंद इन व्यक्तियों को मणिपुर में सीमा पर भारतीय अधिकारियों ने म्यामां के अधिकारियों के हवाले कर दिया. उन्हें म्यामां वापस भेजे जाने से पहले संयुक्त राष्ट्र ने चिंता प्रकट की थी कि इन व्यक्तियों को लौटाते समय उस खतरे की अनदेखी की गयी जिसका उन्होंने म्यामां में झेला है.

म्यामां में दशकों से रोहिंग्या, सुरक्षाबलों के हिंसक कार्यक्रमों के निशाने पर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने चिंता व्यक्त की कि भारतीय अधिकारियों ने उसके इस अनुरोध पर जवाब नहीं दिया कि वह उस देश में अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी सुरक्षा के इन लोगों के दावे का मूल्यांकन कर रही है.

एजेंसी के प्रवक्ता एंड्रेज माहेसिस ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यूएनएचसीआर को इस अनुरोध पर जवाब नहीं मिलने और राज्य विधि सेवा से वकील का इंतजाम नहीं करा पाने का अफसोस है. लेकिन वह इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगता रहेगा कि किन परिस्थितियों में इन लोगों को म्यामां वापस भेज दिया गया.

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