[post-views]

पिछले कुछ महीनों में बेइंतहा खुशी और गम मिले -मीटू पर खुलकर बोली सोनम कपूर

54

मुंबई।मीटू अभियान को लेकर अभिनेत्री सोनम कपूर कहती हैं, ‘मुझे लगता है कि मेरे परिवार में महिलाएं हर चीज में आगे रहती हैं। वे ताकतवर हैं, बोल सकती हैं, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मेरी मां ने हाल में ही मुझसे कहा, ‘जब तुम्हारे पास बहुत ज्यादा हो, तब ऊंची दीवारें बनाने की जगह बड़ी टेबल तैयार करानी चाहिए’, यह बहुत गहरी बात है। मैं खुशकिस्मत हूं कि ऐसे रिश्तेदारों के बीच बड़ी हुई जो डिनर टेबल पर महिलाओं को नीचे देखने या चुप रहने को नहीं कहते। वही सेफ्टी नेट, ये स्पॉटलाइट और स्टेज ही था कि जिसने हमें हमारी बात रखने को प्रोत्साहित किया। पहली बार मैंने 17 साल की उम्र में एक इंटरव्यू में कहा कि मैं फेमिनिस्ट हूं तो मुझे कहा गया कि ये नहीं होना है।

दुर्भाग्य से एक नया चलन है कि लोग खुद को फेमिनिस्ट कहते हैं। शायद इसीलिए पिछले कुछ महीनों में बेइंतहा खुशी और गम मिले हैं। मीटू मूवमेंट ने आंखें खोलीं और आनंद भी दिया है। अब यही जरूरी है कि उन्हें अधिकार मिलें जो लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। महिलाओं से नफरत करने वाले विक्टिम पर ही इल्जाम जड़ देते हैं। ताकतवर आदमी कानूनी लड़ाई के लिए फौज खड़ी कर लेता है। कुछ इस मुहिम को झूठे दावे करते हुए अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने लगते हैं। जब लोग कहते हैं कि हमें दोष साबित होने तक आरोपी से सहानुभूति रखनी चाहिए तो हमें उन महिलाओं के बारे में भी नहीं भूलना चाहिए जो पर्सनल रिस्क लेकर और ट्रामा से गुजरकर भी अपने कहानी बताने की हिम्मत कर रही हैं।

हाल में ही एक ऐक्टर पर मीटू के तहत आरोप लगे तो एक महिला ने कहा, ‘वह तो बहुत हैंडसम लड़का है, उसको क्यों करना पड़ेगा?’ इससे हमारी सोसाइटी का एटीट्यूड पता चल जाता है। जो इन हालात से गुजरने वालों पर यकीन से परे होता है। हां, जब तक किसी पर इल्जाम साबित न हो जाएं वह सही होता है, लेकिन क्या इससे सर्वाइवर को रिजेक्ट कर देना चाहिए? ऐसे में उनका बचाव करने वाले महिलाओं की कहानियों को झुठलाने और इस मूवमेंट को कमजोर करने में लगे हैं।

Comments are closed.