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सरकार के काफी बड़ी है जाली मुद्रा से निपटने की चुनौती

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PBK NEWS | नोटबंदी के बाद केंद्र सरकर की कड़ी निगरानी के बावजूद देश में नकली नोटों का चलन थमने का नाम नहीं ले रहा। सरकार की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि पिछले आठ सालों में बैंकिंग तंत्र में लेनदेन के दौरान नकली मुद्रा पकड़े जाने के मामले तेजी से बढ़े हैं। नकली मुद्रा रिपोर्टो की संख्या 2007-08 में महज 8,580 थी और यह 2008-09 में बढ़कर 35,730 और 2014-15 में बढ़कर 3,53,837 हो गई। गौरतलब है कि 2007-08 में सरकार ने पहली बार यह अनिवार्य किया था कि निजी बैंकों और देश में संचालित सभी विदेशी बैंकों के लिए नकली मुद्रा पकड़े जाने संबंधी किसी भी घटना की जिम्मेदारी धनशोधन रोधी कानूनों के तहत वित्तीय खुफिया इकाई फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) को देना होगा।

उसके बाद से एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार 2009-10 में 1,27,781 सीसीआर दर्ज हुई। वर्ष 2010-11 में यह संख्या 2,51,448 और 2011-12 में 3,27,382 हो गई। वर्ष 2012-13 में सीसीआर संख्या 3,62,371 रही जबकि 2013-14 में ऐसे कुल 3,01,804 मामले फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआइयू) के समक्ष आए। सीसीआर के लगातार बढ़ते आंकड़ों से साफ है कि देश में बड़े पैमाने पर नकली नोटों का प्रवाह जारी है और उससे निपटने के कदम कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। गत वर्ष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के तत्वाधान में भारतीय सांख्यिकी संस्थान कोलकाता द्वारा खुलासा किया गया कि देश में प्रचलन में मौजूद नोटों का कुल अंकित मूल्य तकरीबन 400 करोड़ रुपये है। पुलिस एवं अन्य एजेंसियों द्वारा नकली नोटों का कारोबार वालों के विरुद्ध सख्ती के बावजूद भी गत वर्षो में इस आंकड़े में कमी नहीं आई है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक सबसे अधिक पांच सौ रुपये के नकली नोट बरामद किए गए हैं। 2015 में पांच सौ रुपये के 2,99,524 नोट, सौ रुपये के 2,17,189 नोट तथा एक हजार रुपये के 1,78,022 नकली नोट बरामद किए गए। इसी तरह पचास रुपये के 7,702 नकली नोट बरामद किए गए जबकि अन्य मूल्य के 3,134 नकली नोट जब्त किए गए। हालांकि गौर करें तो 2013 की तुलना में पांच सौ और एक हजार रुपये के जब्त नकली नोटों की संख्या में भारी कमी दर्ज हुई वहीं सौ रुपये के जब्त नकली नोटों की संख्या में भारी इजाफा हुआ। 2013 में पांच सौ रुपये के 4,29,757, एक हजार रुपये के 1,94,767 और सौ के 1,85,865 नकली नोट बरामद किए गए।

नोटबंदी से पहले के एक आंकड़े बताते हैं कि रिजर्व बैंक और जांच एजेंसियों की संख्ती के बावजूद भारतीय बाजार में मौजूद साढ़े ग्यारह लाख करोड़ रुपये की करेंसी में बड़ी संख्या में नकली नोट मौजूद होने का खुलासा हुआ। यह आंकड़ा चार सौ करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकता है। नोटबंदी से पहले देश के विभिन्न बैंकों के एटीएम से नकली नोट निकल रहे थे। उत्तर प्रदेश के कई बैंकों के चेस्ट में भारी मात्र में नकली नोट पाए गए। अब भी यदा-कदा बैंकों के एटीएम से नकली नोट निकलने की खबरें आती रहती हैं। नकली नोटों के प्रवाह को रोकने के लिए इस काले धंधे से जुड़े लोगों पर नकेल कसना होगा। यह किसी से छिपा नहीं है कि देश में ऐसे कई गिरोह हैं जो नकली नोटों का कारोबार कर रहे हैं लेकिन वे जांच एजेंसियों की पकड़ से बाहर हैं।

नोटबंदी के बाद भी पाकिस्तान नकली नोटों के खेल में जुटा हुआ है। उसका मकसद इसके जरिए आतंकवाद को बढ़ावा देना तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना है। आंकड़ों पर गौर करें तो 2010 में तकरीबन 1600 करोड़ रुपये की नकली करेंसी नेपाल और बांग्लादेश के जरिए भारत भेजी गई। इसी तरह वर्ष 2011 में 2000 करोड़ रुपये की नकली करेंसी भेजी गई। इस नकली मुद्रा में तकरीबन 60 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान में छापा गया था। 2015 में भी इन रास्तों से तकरीबन तीन करोड़ से ज्यादा की करेंसी पकड़ी गई। चिंता की बात यह कि पकड़े जा रहे नकली नोटों में 17 में से 11 सुरक्षा मानकों की पूर्णत: नकल की गई है। अभी गत माह पहले ही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने बांद्रा में 70 लाख से अधिक जाली नोट बरामद किया।

देश में नकली नोटों से निपटना तभी संभव होगा जब सीमा पार से भेजे जा रहे नकली नोटों के प्रवाह पर अंकुश लगेगा और जनसामान्य को असली-नकली नोटों की जानकारी होगी। अच्छी बात है कि समय-समय पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा देश के नागरिकों को प्रचार के जरिए असली-नकली नोटों के फर्क को समझाया जाता है। उसके द्वारा बैंकों को भी हिदायत दी जाती है कि वे नोटों को लेने से पहले उसकी जांच जरुर कर लें। दो राय नहीं कि नोटबंदी के उपरांत जाली मुद्रा की तस्करी रोकने में काफी हद तक मदद मिली है लेकिन इस कारोबार से जुड़े लोगों पर पूरी तरह शिकंजा नहीं कसा जा सका है। भारत सरकार ने नकली नोटों पर अंकुश रखने के लिए शैलभद्र बनर्जी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जिसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।

इस रिपोर्ट पर अमल करते हुए मुद्रा निदेशालय में अतिरिक्त सचिव स्तर का महानिदेश का पद सृजित किया गया है। इसके अलावा कई अन्य और कदम उठाए गए हैं। मसलन सरकार ने बेहद सुरक्षित किस्म के कागजों पर नोट छापने का निर्णय लिया है। इसके लिए मैसूर में एक बेहद आधुनिक तकनीक पर आधारित करेंसी कागज बनाने का कारखाना लगाया जा रहा है। इस कारखाने में निर्मित करेंसी कागज की नकल करना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा। भारत में निर्मित करेंसी कागज से सालाना 1300 करोड़ रुपये की बचत होगी। अभी भारत में इस्तेमाल होने वाले अधिकांश करेंसी कागज आयातित होते हैं। हर वर्ष भारत 1300 करोड़ रुपये मूल्य के कागज आयात करता है। नकली नोट पर लगाम लगाने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने आयातित कागज की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी।

वित्त मंत्रलय, रिजर्व बैंक, गृह मंत्रलय एवं अन्य सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिनिधित्व वाली इस समिति ने ही देश में करेंसी कागज उत्पादन की क्षमता में आत्मनिर्भर होने की बात कही थी। नकली नोटों के प्रवाह को रोकने के संदर्भ में वित्त राज्यमंत्री अजरुन मेघवाल ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में कह चुके हैं कि नकली नोटों के अवैध धंधे को रोकने के लिए वित्त मंत्रलय, गृह मंत्रलय, भारतीय रिजर्व बैंक एवं केंद्र तथा राज्य सरकारों की सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं। रिजर्व बैंक ने नकली नोटों पर लगाम लगाने के लिए गत वर्ष पहले एक तरफ बिना छपाई वर्ष वाले 2005 से पुराने नोटों को परिचालन से बाहर कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ नए नोटों पर सुरक्षा मानक ज्यादा उन्नत बना दिए गए हैं फिर भी नकली नोट चलन से बाहर नहीं पा रही हैं। सरकार को नकली नोटों की समस्या से निपटने के लिए और कड़े कदम उठाने होंगे।

 

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