PBK NEWS | नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पैगंबरों ने भी तलाक को गलत माना था, क्योंकि इससे परिवार का विघटन होता है। जस्टिस आरएफ नरीमन ने कहा कि तलाक न केवल विवाह को तोड़ता है बल्कि इससे मानसिक व अन्य कई तरह की व्याधियां पैदा होती हैं जो इस रिश्ते से जन्मे बच्चों पर गलत असर डालती हैं।
जस्टिस नरीमन का कहना है कि इस्लाम में विवाह को एक समझौता माना जाता है। अन्य समझौतों की तरह से यह भी विशेष परिस्थितियों में तोड़ा जा सकता है। पैगंबर मोहम्मद साहब के समय से पहले अरब में इस बात की आजादी थी कि छोटी सी बात पर पत्नी को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए।
जब इस्लाम बना तो उसमें तलाक को उस स्थिति में मान्यता दी गई जिसमें पत्नी के गलत चरित्र की वजह से वैवाहिक संबंध निभाना असंभव हो जाए। लेकिन ऐसे ज्यादातर मामलों में व्यक्ति तलाक के लिए सही कारण को बता ही नहीं पाता है।
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