[post-views]

बिहार में ये कैसी बहार है? तेजस्वी ने लिया नीतीश को शिक्षा व्यवस्था पर आड़े हाथ

49

PBK NEWS | नई दिल्ली। 2015 में बिहार में जब महागठबंधन की सरकार बनी तो उस सरकार में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव सीएम नीतीश कुुमार के नायब बने। महागठबंधन की सरकार अब इतिहास है लेकिन बिहार राज्य का सीएम बरकरार है। 2015 से जुलाई 2017 तक सरकार और नीतीश कुमार की गुणगान करने वाले तेजस्वी यादव को अब उनमें सिर्फ खामी नजर आ रही है। वो कहते हैं नीतीश कुमार अपनी सहूलियत के मुताबिक अपनी अंतरआत्मा को जगाते और सुलाते हैं। और अब वो बिहार में शिक्षा की बदहाली के लिए नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, ये बात अलग है कि वो अपने दो वर्ष के कार्यकाल को नहीं याद करना चाहते हैं।

यहां पढ़ें तेजस्वी यादव की पूरी पोस्ट

विगत दस-बारह सालों में बिहार के शिक्षा स्तर में जो भारी गिरावट आई है उसके लिए, बिहार का बच्चा बच्चा जानता है कि एक ही शख़्स जिम्मेदार है और वह है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। बस एक ही आँकड़ा लेकर ये बैठ गए हैं कि पिछली सरकार की अपेक्षा इनके कार्यकाल में दाखिलों में इज़ाफ़ा हुआ। ये इतने आत्ममुग्ध है कि इस इज़ाफ़े के लिए जिम्मेदार अधिक कारगर कारणों की जानबूझकर अनदेखी करते हैं। यूपीए के कार्यकाल में सर्व शिक्षा अभियान में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किए गए भारी आवंटन, बजट बढ़ोतरी और मिड डे मील जैसी योजनाओं की बदौलत बढ़े दाखिले का सेहरा बड़ी चतुरता से बस अपने सिर पर ही सजाते हैं।

ये भूल जाते हैं कि यूपीए सरकार के सहयोग के बगैर शिक्षा के क्षेत्र में एक भी योजना को अमलीजामा पहनाना असम्भव था।ये कभी बिहार में शिक्षा के निरन्तर गिरते स्तर पर एक शब्द नहीं बोलते हैं। क्या शिक्षा के गिरते स्तर पर मुख्यमंत्री ने कभी चिंता ज़ाहिर की? अपने होनहार विद्यार्थियों के ज़रिए पूरे देश में अपने शिक्षा का डंका बजवाने वाला बिहार अचानक अपनी शिक्षा के गिरते स्तर, नकल, विलम्ब से परीक्षा परिणाम और अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए जाना जाने लगा। क्या ये बताएँगे कि इन्होंने अपने 12 साल के कार्यकाल में नियमित शिक्षकों की बहाली क्यों नहीं की? पुलिस सिपाही के लिए बिहार में लिखित परीक्षा ली गयी लेकिन विधार्थियों का भविष्य गढ़ने वाले शिक्षको के लिए नीतीश जी ने लिखित परीक्षा नहीं ली। और आज जब पूरे देश में इनकी शिक्षा नीति की थू-थू हो रही है तो अब ये 50 वर्ष से ऊपर के शिक्षको को हटाने का नाटक रच रहे है। अगर कोई क़ाबिल नहीं है तो उसे हटाने के किए उम्र की सीमा क्यों? बिहार की गिरती हुई शिक्षा व्यवस्था के सिर्फ़ और सिर्फ़ ज़िम्मेवार आप है।
यह समझने के लिए रॉकेट विज्ञान की आवश्यकता नहीं कि तत्कालीन योजना आयोग के प्रति पंचवर्षीय योजना में पिछली योजना के मुकाबले, बड़ी होती अर्थव्यवस्था के फलस्वरूप पंचवर्षीय योजना में बढ़ते आवंटन के फलस्वरूप स्कूलों में दाखिले में बढ़ौतरी होते चली गयी। शिक्षा को ऐसी दयनीय स्थिति में लाने के ज़िम्मेवार आप है और उसकी गाज आप 50 पार शिक्षको पर गिराना चाहते है। आप भी तो 65 पार है आपसे राज्य नहीं संभल रहा तो आप भी सन्यास लीजिये। कम से कम बिहार की शिक्षा व्यवस्था का तो सुधार होगा और बिहार की जनता को आप जैसे अवसरवादी मुख्यमंत्री के हाथों जनादेश का अपमान नहीं सहना पड़ेगा। शिक्षा से खिलवाड़ कर राज्य के छात्रों भविष्य से खेलने के प्रयास की राजद कड़े शब्दों में भर्तस्ना करता है। हम बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की माँग उठाते रहे है और अगर सरकार नहीं चेती तो शिक्षा और शिक्षकों की माँगो को लेकर आंदोलन करेंगे।

https://www.facebook.com/tejashwiyadav/posts/1574402582582341

 

Comments are closed.