नई दिल्ली, 22सितंबर। जब कानून का इस्तेमाल करुणा से किया जाता है तो इससे न्याय मिलता है. वहीं जब इसका इस्तेमाल शक्ति की भावना से किया जाता है तो ये अन्याय पैदा करता है.” ये टिप्पणी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने की. उन्होंने हाल ही में कहा कि कानून का नतीजा इस बात पर निर्भर करता है कि कानून किसके हाथ में है. मेरा मतलब सिर्फ जजों और वकीलों से नहीं, बल्कि सिविल समाज से है. चंद्रचूड़ ने ये बातें नागपुर स्थित महात्मा गांधी मिशन विश्वविद्यालय में बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच और बॉम्बे हाईकोर्ट के एडवोकेट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक प्रोग्राम में कहीं..
सीजेआई ने कहा कि हम सबको मूर्ख बना सकते हैं, लेकिन खुद को नहीं. हमारा कानूनी पेशा फलेगा-फूलेगा या खत्म हो जाएगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपनी ईमानदारी बरकरार रखते हैं या नहीं. ईमानदारी कानूनी पेशे का मुख्य स्तंभ है.
एमएनएलयू में लॉ ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा कि युवा पीढ़ी राष्ट्र की अंतरात्मा का इस्तेमाल करती है. सबके विचार अलग-अलग हो सकते हैं. आप उन लोगों को गोली नहीं मार सकते जिनके विचार आपसे नहीं मिलते हैं. हम उन लोगों का बहिष्कार नहीं करते जो हमारे जैसा नहीं खाते, हमारे जैसा नहीं पहनते. हम उन्हें महत्व देते हैं क्योंकि हमारा पेशा तर्क और संवाद की भावना पर आधारित है.
उन्होंने आगे कहा कि हमारा पेशा समावेशन की परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है, जो सहिष्णुता से कहीं अधिक है. जब आप अपने से अलग लोगों का सम्मान करते हैं तो आप समावेशन की आवश्यकता को पहचानते हैं. हमारे समाज में सभी समान रूप से अच्छा जीवन जीने के हकदार हैं.
सीजेआई ने लॉ स्टूडेंट्स से कहा कि कानून और करियर के बाहर भी एक दुनिया है. जीवन केवल कोई कोर्ट रूम या लाइब्रेरी नहीं है, जीवन डांस फ्लोर, खेल का मैदान, कैनवास भी है जो आपके अनूठे स्ट्रोक्स की प्रतीक्षा कर रहा है. याद रखें कि कानून काला और सफेद हो सकता है,लेकिन जीवन रंगों की एक चमकदार श्रृंखला है.
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