PBK NEWS | नई दिल्ली: कभी-कभी कोई एक फैसला किसी के करियर को आसमान पर पहुंचा देता है, तो कोई फैसला करियर का पतन कर देता है. भारतीय क्रिकेट की नई सनसनी पृथ्वी शॉ के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. अगर यह फैसला नहीं लिया जाता, तो पृथ्वी आज सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड तोड़ने के एकदम नजदीक नहीं खड़े होते. कहा जा सकता है कि यह फैसला न केवल पृथ्वी शॉ को राष्ट्रीय क्रिकेट में ‘जन्म’ देने की वजह बना, बल्कि यह फैसला उनके करियर में हमेशा-हमेशा के लिए एक बड़े टर्निंग प्वाइंट में तब्दील हो चुका है. जब भी भविष्य में उनके करियर का इतिहास लिखा जाएगा, तो इस फैसले को हमेशा इसमें जगह मिलेगी. और मिलनी भी चाहिए. मतलब यह कि अगर यह टर्निंग प्वाइंट रूपी फैसला नहीं लिया जाता, तो न पृथ्वी शॉ के हिस्से में आज मिल रही शोहरत ही आती और न ही वह सचिन तेंदुलकर के स्वप्न सरीखे रिकॉर्ड को तोड़ने की कगार पर ही खड़े हो पाते.
फिर से ध्यान दिला दें कि इस सेशन में रणजी ट्रॉफी के महज सात मैचों में पांच शतक जड़कर पृथ्वी भारतीय क्रिकेट की नई सनसनी बन चुके हैं. बहरहाल, इससे पहले कि आपकी बेकरारी और ज्यादा बढ़े, हम आपको इस फैसले के बारे में बता देते हैं. यह फैसला गुजरे अक्टूबर में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की जूनियर सेलेक्शन कमेटी ने लिया. दरअसल गुजरे 16 अक्टूबर को को बोर्ड ने इसी महीने क्वालालंपुर (मलयेशिया) में हुए एशिया कप के लिए भारतीय टीम का ऐलान किया था.
पृथ्वी पूरी तरह से इस टूर्नामेंट पर ध्यान लगाकर अपनी तैयारियों में जुटे हुए थे. दरअसल,पृथ्वी इस टूर्नामेंट के जरिए मुंबई रणजी ट्रॉफी सेलेक्टरों को और ज्यादा भरोसा देना चाहते थे. लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन और भारतीय जूनियर चयनकर्ताओं के बीच पहले से ही आपसी सहमति बन चुकी है. इसके तहत मुंबई के सेलेक्टरों के बहुत ज्यादा जोर देने पर जूनियर चयनकर्ताओं ने अंडर-19 एशिया कप के लिए पृथ्वी के नाम पर विचार न करने का फैसला लिया. दोनों ही पक्ष और बीसीसीआई के आला अधिकारी तीनों पक्ष ही यह आपसी समझ बनाने में कामयाब रहे कि पृथ्वी को भारतीय अंडर-19 टीम में न चुनकर जारी रणजी ट्रॉफी सेशन में ज्यादा से ज्यादा मैच खिलाए जाएं. इसकी पीछे एक बड़ी वजह यह भी रही कि पृथ्वी सितंबर में दिलीप ट्रॉफी के फाइनल में शतक जड़कर पहले से ही सुर्खियां बटोर चुके थे. तब लखनऊ में खेले गए इस मुकाबले में अपनी 152 रनों की पारी से पृथ्वी दिलीप ट्रॉफी के फाइनल में शतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के और इस टूर्नामेंट में सबसे कम उम्र में शतक बनाने वाले सचिन तेंदुलकर के बाद दूसरे खिलाड़ी बन गए थे.
बता दे कि सचिन तेंदुलकर ने करीब 26 साल पहले इसी ट्रॉफी के मैच में 17 साल और 262 दिन की उम्र में शतक बनाया, तो वहीं पृथ्वी शाह ने 17 साल और 320 दिन की उम्र में इस कारनामे को अंजाम दिया. उनकी इस पारी ने भी भारतीय जूनियर चयनकर्ताओं को यह भरोसा देने में मदद की कि पृथ्वी और भारतीय क्रिकेट का भला इसी बात में ज्यादा है कि उन्हें अंडर-19 एशिया कप की टीम में न चुनकर रणजी ट्रॉफी मैच खिलाए जाएं. नतीजा सभी के सामने है. अपने पहले ही रणजी ट्रॉफी सेशन के शुरुआती सात मैचों में 5 शतक. एक ऐसा रिकॉर्ड, जिससे अच्छे-अच्छे बल्लेबाजों को रश्क होने लगे.
अंडर-19 टीम को तो एशिया कप में जरूर नुकसान हुआ कि वह तीन दिन पहले ही बांग्लादेश के हाथों हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई. लेकिन सेलेक्टरों के फैसले से भारतीय क्रिकेट को भविष्य का एक ऐसा बड़ा सितारा मिल गया, जो आने वाले दिनों में अपने बल्ले से और कई ‘सुनहरी पारियां लिखने’ को तैयार है!
News Source: khabar.ndtv.com
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