पारंपरिक चिकित्सा को मिली नई पहचानः सर्बानंद सोणोवाल
`पारंपरिक चिकित्सा के पहले महाकुंभ में जुटे 75 से अधिक देशों के प्रतिनिधि
गांधीनगर, 21 अगस्त। दुनिया भर की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के धुरंधरों को एक मंच पर लाकर अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं पर संवाद करने के लिए आयोजित पहलीWHO ट्रेडिशनल मेडिसिन ग्लोबल समिट का उद्धाटन WHO के महासचिव डॉ. ट्रेडोस एडनोम घेब्येययस ने ब्रहस्पतिवार को यहाँ किया। अपने संबोधन में उन्होंने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की ऐतिहासिक पहल की जमकर तारीफ की और कहा कि हम पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा के जरिए दुनिया को स्वस्थ बना सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि इस शिखर सम्मेलन में 75 से भी अधिक देशों के प्रतिनिधि और अनेक देशों के स्वास्थ्य मंत्री भाग ले रहे हैं।
अपने संबोधन में डॉ. ट्रेडोस ने खास तौर पर भारत के घर-घर में पूजी जानेवाली तुलसी का जिक्र किया। उन्होंने तुलसी के गुणों का वर्णन करते हुए कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे तुलसी पौधा लगाने का मौका मिला ।
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने उद्धाटन कार्यक्रम में कहा कि कोरोना काल के दौरान सारी दुनिया का ध्यान भारत की आयुष पद्धतियों की उपयोगिता पर गया और बड़ी संख्या में लोगों ने इसका लाभ लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए जो कदम उठाये, उसका लाभ इस कोरोना काल में सबने उठाया। दुनिया ने देखा कि कोरोना जैसे संकट से निपटने में पारंपरिक चिकित्सा कारगर भूमिका निभा सकती है ।
जिस मजबूती से प्रधानमंत्री ने ट्रेडिशनल मेडिसिन के मिशन से दुनिया के दूसरे देशों को जोड़ना शुरू किया, उनकी पहल का नतीजा पिछले साल जामनगर में ग्लोबल सैंटर फार ट्रैडिशनल मेडिसिन के शिलान्यास के बाद अब दुनिया के पहले पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन के तौर पर सामने आया है।
केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोणोवाल ने इस शिखर सम्मेलन का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए कहा कि उनके सक्षम और समर्थ नेतृत्व में पारंपरिक चिकित्सा को नई पहचान मिली है और आयुष मंत्रालय पारंपरिक चिकित्सा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है ।
केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने इस अवसर पर कहा कि पारंपरिक औषधियों की फार्मास्यूटिकल और कॉस्मेटिक उद्योग में जबर्दस्त मांग है। दुनिया के 170 से भी अधिक देशों में इन औषधियों का किसी न किसी रूप में उपयोग हो रहा है।
सम्मेलन में भूटान की स्वास्थ्य मंत्री डाशो डेचेन वांगमो ने एलोपैथिक डॉक्टर और पारंपरिक चिकित्सक को समान महत्व और समान वेतन का मुद्दा उठाया । उन्होंने कहा कि भूटान में हम एक पारंपरिक चिकित्सक को भी उतना ही वेतन देते हैं जितना एलोपैथिक डॉक्टर को। उन्होंने ये भी बताया कि भूटान में एक ही स्वास्थ्य केंद्र में एलौपैथी और ट्रेडिशनल मेडिसिन से इलाज की व्यवस्था है और इससे हमें एक खुशहाल भूटान बनाने में मदद मिलती है ।
शिखर सम्मेलन में सूत्र वाक्यों का कई बार जिक्र हुआ । वसुधैव कुटंबकम्, सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, अच्छे विचारों को हर तरफ से आने दो, सत्य एक है लेकिन उस तक पहुंचने के रास्ते अलग-अलग हैं, सोना-चांदी से ज्यादा महत्वपूर्ण है स्वास्थ्य-जैसे प्रेरणादायी वाक्यों के जरिए कई वक्ताओं ने दुनिया को अपना सार्थक संदेश दिया ।
विश्व के पहले पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन के पहले दिन ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़ी फिल्म और वृत्त चित्र भी दिखाये गये । इन फिल्मों में देश- दुनिया के अलग अलग कोने में प्रचलित पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को दिखाया गया और संदेश दिया गया कि समाज को चुस्त-दुरूस्त और तंदुरूस्त ऱखने का रास्ता पारंपरिक चिकित्सा के घर से होकर ही गुजरता है ।
सम्मेलन के पहले दिन ही एक खास डिजिटल प्रदर्शनी का भी उद्घाटन विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष टेडरॉस, केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोणोवाल, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया एवं केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई ने किया। इसमें पारंपरिक चिकित्सा के तमाम रूपों को दर्शाया गया है । प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र बिंदु बना पौराणिक कल्प वृक्ष का आधुनिक रूप। कल्पवृक्ष के जरिए संदेश देना चाह रहे हैं कि जिस तरह से कल्पवृक्ष इंसान की हर मनोकामना को पूर्ण करने का सामर्थ्य रखता है, उसी तरह पारंपरिक चिकित्सा पद्धति इंसान को हर तरह की रोग व्याधि से बचा सकती है । पूरी तरह से डिजिटल इस प्रदर्शनी में विश्व स्वास्थ्य संगठन केछहों क्षेत्रीय कार्यालयों ने भाग लिया है और आयुष मंत्रालय ने भी अपनी उपलब्धियों को दर्शाया है।
शिखर सम्मेलन में आये विदेशी मेहमान आज के भव्य कार्यक्रम को लेकर खासे उत्साहित दिखे । पारंपरिक चिकित्सा में भारत की पहल की तारीफ करते हुए विदेशी मेहमानों ने कहा कि भारत ने ट्रेडिशनल मेडिसिन को लेकर जो पहल शुरू की है, उसका कारवां इसी तरह आगे बढ़ता रहना चाहिए ।
पिछले साल गुजरात के जामनगर में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना के बाद अब भारत में ही पारंपरिक चिकित्सा के पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि है । आयुष मंत्रालय और WHO की मेजबानी में होने इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश विदेश के वैज्ञानिक, चिकित्सा विशेषज्ञ और सिविल सोसाइटी के सदस्य परंपरागत चिकित्सा के तमाम पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं ।
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