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हरियाणा के त्रिमूर्ति सांसदों की मुख्यमंत्री पद पर निगाहें

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गुरुग्राम (अजय) : 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए 2 केन्द्रीय राज्य मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह व चौ. बिरेन्द्र सिंह की निगाहें अब पूरी तरह से प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर देखि जा रही है। जिसके कई उदहारण इनकी सभाओं में दिए गये भाषण में दर्द के रूप में देखा गया है । हालाकि दोनों ही नेताओं की छवि हरियाणा में कम नही आकी जा सकती । दोनों ही नेताओं की राजनेतिक पेठ काफी बड़ी शाबित मानी जाती है । दक्षिण हरियाणा से मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने वाले नेता राव इन्द्रजीत सिंह को लोकसभा चुनाव से पहले क्षेत्र के लोग मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में देख रहे थे, तो वही चौ. बिरेन्द्र सिंह भी भाजपा में मुख्यमंत्री पद के दावेदारी में खुद को कही पीछे नही देखते थे । वही देश की राजधानी दिल्ली से सटे फरीदाबाद दक्षिण हरियाणा के रसूखदार नेता कृष्णपाल गुर्जर भी केंद्र में मजबूत पकड़ बनाये हुए है, जोकि भाजपा के पुराने सिपाही भी है । पिछले कुछ महीनों से तीनों नेताओं के ब्यान और राजनेतिक माइनों से साफ़ हो चूका है कि अब हरियाणा की इन तीनो मूर्तियों की पूरी तरह से निगाहें हरियाणा के मुख्यमंत्री पद पर बनी हुई है ।

अहीरवाल क्षेत्र में राव इन्द्रजीत को यादव समाज राजा परिवार के रूप में देखते है और लोकसभा चुनाव में एकमत के साथ राव इन्द्रजीत के साथ खड़े दिखते है, तो वही चौ. बिरेन्द्र सिंह जाट बेल्ट के कदावर नेताओं में से एक मानें जाते है, जोकि वर्षो तक कांग्रेस पार्टी में बने रहे और अब भाजपा में केन्द्रीय मंत्री है । अगले वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर तीनों नेताओं ने अपनी राजनेतिक पारी तो खेलनी शुरू कर दी है साथ ही सभाओं में मुख्यमंत्री पद को लेकर भी अलग ही ब्यान सुनने को मिलते है । राव इन्द्रजीत सिंह वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की कार्य प्रणाली पर कई बार सवालियां निशान खड़े कर चुके है । वही मुख्यमंत्री द्वारा भी कई बार राव इन्द्रजीत को कोई ख़ास तवज्जों नही दी जाती है, जिसके चलते भी राव इन्द्रजीत मुख्यमंत्री से रूखे नजर आते रहे है । हालाकि फिलहाल राव इन्द्रजीत के सुर मुख्यमंत्री के लिए कुछ नरम पड़ते दिखे है । प्रदेश की त्रिमूर्ति सांसद खुद को मुख्यमंत्री पद के तौर पर बड़ा दावेदारी मानती है, लेकिन आने वाला वक्त ही तय करेगा कि प्रदेश की बागडौर अगली बार कौन सम्भालेगा । हालाकि सांसदों की यह त्रिमूर्ति यदि अन्य दलों में पलायन को चली तो हरियाणा के चुनावों के परिणाम पर पूरा असर साफ़ देखा जाएगा । जिसको लेकर भाजपा को फूंक फूंक कर कदम उठाने होंगे ।

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