गुडगाँव 24 लाई (अजय) : हमेशा ऐसा नहीं होता। विपक्ष जब भी सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की बात करता है, सत्ता पक्ष उसके विरोध में जुट जाता है। कोशिश यही होती है कि ऐसा प्रस्ताव पेश न हो सके। भले ही सरकार गिरने का कोई खतरा न हो, तब भी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। मानसून सत्र शुरू होते ही एक तरफ विपक्षी दलों की तरफ से अविश्वास प्रस्तावों की बाढ़ आ गई, तो दूसरी तरफ इसे रोकने के कोई प्रयास नहीं थे। जैसे अचानक ही यह ऐसा प्रस्ताव बन गया, जिसकी पक्ष और विपक्ष, दोनों को ही जरूरत हो। तेलुगू देशम पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी समेत कई दलों ने अपनी-अपनी तरफ से प्रस्ताव पेश कर दिए। किसका प्रस्ताव स्वीकृत होना चाहिए, यह भी चर्चा का विषय बन गया। सबसे बड़े दल का हो, या जिसका प्रस्ताव सबसे पहले मिला, उसका? फैसला लॉटरी से करने की भी बात आई। लेकिन यह महत्वपूर्ण नहीं था, महत्वपूर्ण था भारतीय जनता पार्टी की तरफ से आया बयान। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि हम अविश्वास प्रस्ताव का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। आखिर में अविश्वास प्रस्ताव् पेश हुआ और सरकार ने उसका मुकाबला भी किया
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