गुड़गांव 21 जुलाई (अजय) : सरकार द्वारा बनाई गई राईट टू एजुकेशन योजना वेंटिलेटर पर अपनी आखरी सांसे ले रही है या फिर यू कहे कि धरातल पर सरकार की यह योजना पूरी तरह फेल शाबित हुई है नवजन चेतना मंच के संयोजक वशिष्ठ गोयल कहते है कि अकेले गुरुग्राम में जगह जगह रेड लाईट पर नन्हे नन्हे बच्चे भीख मांग कर अपना पालन पोषण कर रहे है वही सरकार का श्रम व् शिक्षा विभाग इन्हें राईट टू एजुकेशन के तहत शिक्षा दिलाने के लिए जवाबदेही नजर नही आ रहा है जिससे सरकार की राईट टू एजुकेशन योजना पूरी तरह से वेंटिलेटर पर दम तोडती नजर आ रही है
राईट टू एजुकेशन शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार बच्चों को निशुल्क व् अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने की योजना सरकार द्वारा बनाई गई लेकिन यह योजना जमीनी स्तर पर दम तोडती हुई नजर आ रही है जिस पर सरकार चुप्पी साधे हुए है धरातल पर इस योजना का कोई लाभ बच्चों को मिलता हुआ नही दिख रहा है जिस पर सरकार को ध्यान देते हुए सख्ती से कार्यवाही कर इसे लागू करना चाहिए भारत देश में 6 से 14 वर्ष के हर बच्चे को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा आधिकार अधिनियम 2009 बनाया गया है। यह पूरे देश में अप्रैल 2010 से लागू किया गया है। इस कानून को लागू करने के लिए गुजरात राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा फरवरी 2012 से नियम तैयार किये गये हैं।
इस योजना के तहत प्रत्येक बच्चे को उसके निवास क्षेत्र के एक किलोमीटर के भीतर प्राथमिक स्कूल और तीन किलोमीटर के अन्दर-अन्दर माध्यमिक स्कूल उपलब्ध होना चाहिए। निर्धारित दूरी पर स्कूल नहीं हो तो उसके स्कूल आने के लिए छात्रावास या वाहन की व्यवस्था की जानी चाहिए। बच्चे को स्कूल में दाखिला देते समय स्कूल या व्यक्ति किसी भी प्रकार का कोई अनुदान नहीं मांगेगा, इसके साथ ही, बच्चे या उसके माता-पिता या अभिभावक को साक्षात्कार देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। अनुदान की राशि मांगने या साक्षात्कार लेने के लिए भारी दंड का प्रावधान है।
विकलांग बच्चे भी मुख्यधारा की नियमित स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।किसी भी बच्चे को आवश्यक कागजों की कमी के कारण स्कूल में दाखिला लेने से नहीं रोका जा सकता है, स्कूल में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी किसी भी बच्चे को प्रवेश के लिए मना नहीं किया जाएगा और किसी भी बच्चे को प्रवेश परीक्षा देने के लिए नहीं कहा जाएगा।
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