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‘राम जन्मभूमि-बाबरी विवाद को कोर्ट के जरिये ही हल करना था तो 1992 में आंदोलन क्यों हुआ’

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नागपुर: विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के प्रमुख प्रवीण तोगड़िया ने अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण करने के लिए कानून नहीं बनाने को लेकर केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर रविवार (25 मार्च) को गहरी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से मिलने का समय है, लेकिन अपने बचपन के मित्र (तोगड़िया) से मिलने का नहीं. तोगड़िया ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद को अदालत के जरिये ही हल करना था तो 1992 में आंदोलन क्यों हुआ और क्यों बड़ी संख्या में लोगों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया. अयोध्या मामले की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हो रही है.

तोगड़िया ने कहा कि राम मंदिर बनाने के लिए आम राय तैयार करने की खातिर आंदोलन हुआ, ताकि मंदिर समर्थक सरकार सत्ता में आए और इसके निर्माण के लिए कानून बनाए. उन्होंने कहा कि विवादित भूमि और आसपास के 66 एकड़ इलाके में केवल एक मंदिर ही बन सकता है.

भाजपा ने 1987 में किया था वादा
तोगड़िया ने कहा कि भाजपा ने 1987 में अपनी पालमपुर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राम मंदिर के निर्माण के लिए संसद में कानून पारित कराने का वादा किया था, लेकिन पिछले चार साल में कोई कानून पारित नहीं हुआ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर खामोश हैं. उन्होंने कहा, ‘‘एक सप्ताह पहले ही मैंने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है कि आप पाकिस्तान के (तत्कालीन) प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिल सकते हैं, लेकिन आपके पास यह शिष्टाचार नहीं है कि अपने बचपन के मित्र (तोगड़िया) से मिलें और राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर चर्चा करें.’

बाबरी विवाद में न्यायालय के निर्णय का सम्मान होना चाहिए: दरगाह दीवान
वहीं दूसरी ओर अजमेर स्थित सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद पर कहा कि धार्मिक कट्टरता से किसी विवाद का हल नहीं निकल सकता है इसलिए सभी धर्मों को न्यायालय के फैसले में विवाद का हल तलाशना चाहिए.

दीवान ने बीते 24 मार्च को अजमेर में सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 806वें सालाना उर्स के मौके पर देश की प्रमुख दरगाहों के सज्जादगान, प्रमुख धर्मगुरुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस मसले को न्यायालय के बाहर तय करने के प्रयास कभी सफल नहीं हो सकते.

उन्होंने कहा कि वर्तमान धार्मिक राजनीतिक और सांस्कृतिक ताकतें अयोध्या मसले पर एक व्यवहारिक समाधान नहीं निकाल पा रही हैं जिससे देश के सभी धर्मों के अनुयायियों में इस विवाद को लेकर एक संशय का माहौल है, क्योंकि वर्तमान माहौल को देखते हुए सभी संप्रदाय के अधिकांश जागरूक नागरिक न्यायालय से बाहर किसी समाधान के लिए सहमत नहीं हो सकते हैं.

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