बादशाहपुर, 14 जुलाई (अजय) : खेड़की दौला टोल प्लाजा पर अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर जारी अनिश्चितकालीन धरना आज 161वें दिन भी जारी रहा। बतातें चले कि भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट को बनाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। इससे पहले हरियाणा के अहीर सैनिक कुमाऊं रेजिमेंट में होते थे, इसीलिए इस रेजिमेंट को अहीर रेजिमेंट भी कहते थे। अक्टूबर 1948 में कुमाऊंनी और अहीर समुदाय को बराबर-बराबर प्रतिनिधित्व दिया गया। 1960 में 2 कुमाऊं और 6 कुमाऊं से अहीरों के ट्रांसफर के बाद 13 कुमाऊं रेजिमेंट पहली अहीर बटालियन हो गई। वह दिन था 18 नवंबर 1962 और पूर्वी लद्दाख के रेजांग ला में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर 13 कुमाऊं के अहीर जवान मोर्चा संभाले हुए थे। अहीर रेजिमेंट में श्अहीरश् शब्द कहां से आया। दरअसल, हरियाणा के दक्षिणी जिले रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम के पूरे क्षेत्र को अहीरवाल कहा जाता है। इसका संबंध राजा राव तुलाराम से है जो 1857 की क्रांति के अहीर हीरो थे। वह रेवाड़ी स्थित रामपुरा रियासत के राजा थे। अहीरवाल की भूमि पर अंग्रेजों से मुकाबला करने वाले राजा राव को क्रांति का महानायक कहा जाता है। इस क्षेत्र में काफी समय से अहीर रेजिमेंट की मांग हो रही है।
क्षेत्र के गांव-गांव पहुंचकर अहीर रेजिमेंट का समर्थन करने के लिए लोगो से अपील की जा रही है। वही अहीर रेजिमेंट संयुक्त मोर्चा के लोग गांव जैसै आलंदी मुर्सेदपुर, खुरमपुर खेडा, कालियावास के आस पास के लोगो आज पंचायत की गई। पंचायत करने के बाद गांव के लोगो ने पुरा साथ दिया और धरने पर आकर समर्थन देने का आश्वासन दिया है। इस अपील कर गांव-गांव पहुंचने वालों में अरूण यादव खेडकी, हरी यादव थानेदार, रामगोपाल शिकोहपुर, कंवरलाल नखडौला, विजय मास्टर, रविन्द्र यादव, घमण्डी लाल खेडकी दौला, जीत राम आदि लोग मौजुद रहे।
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