गुड़गांव (अजय) : मौषम बदल रहा है जिसके चलते बुखार का सीजन भी बढ़ गया है लेकिन यह नही कि हल्का बुखार होने पर यह तय कर लिया जाए कि यह डेंगू या चिकनगुनिया बुखार ही हो उक्त विषय में संजीवनी अस्पताल के डॉ. रामवीर गोस्वामी ने बोलते हुए कही उन्होंने कहा कि लोगों में डेंगू व चिकनगुनिया होने का डर बढ़ गया है। हल्का बुखार होने के बाद लोग डॉक्टर के पास आते हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें डेंगू या चिकनगुनिया तो नहीं है। डॉक्टर का कहना है कि बुखार होने के बाद डॉक्टर को दिखाना जरूरी है।
चिकनगुनिया संक्रमित एडिज मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर जब किसी संक्रमित व्यक्ति या बंदर को काटता है तो उसकी लार में यह वायरस पहुंच जाता हैं। फिर यह मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति भी इस रोग का शिकार हो जाता है। एक बार इस रोग से पीड़ित होने पर अगले 7 से 10 दिन तक व्यक्ति रोग से संक्रमित रहता है और उसी से रोग फैलाने की क्षमता रखता है।
इसके लक्षण :
मच्छर काटने के 2 से 7 दिनों के बाद चिकनगुनिया के लक्षण नजर आते हैं।
-ठंड लगकर तेज बुखार आना
-सिरदर्द
-मांसपेशियों में दर्द
-जोड़ो में तेज दर्द
-जोड़ों में सूजन
-जी मचलना
-भूख कम लगना
-कमजोरी आना
धूप सहन नहीं होना
-शरीर पर दाने निकलना
युवा व बुजुर्ग :
युवाओं में चिकनगुनिया होने के बाद 8 से 10 दिन जोड़ों में दर्द रखता है लेकिन बुजुर्गों में यह दर्द एक माह तक रह सकता है।
इन बुखार में डेंगू के बचाव के तरीके :
-घर के अंदर बाहर पानी ना जमा होने दें
– फुल बांह के कपड़े पहनें
– खुले में सो रहे हैं तो मच्छरदानी लगाए
– शाम के वक्त पार्क में उस जगह पर ना जाएं जहां पानी भरा रहता है।
– बुखार आने पर केवल पैरासीटामॉल लें, कुशल चिकित्सक को दिखाएं लक्षण :
.ठंड के साथ अचानक तेज बुखार चढ़ना।
.सिर, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना।
.कमजोरी लगना, भूख में बेहद कमी तथा जी मिचलाना।
. मुहं का स्वाद खराब होना।
.गले में हल्का सा दर्द होना।
.रोगी बेहद दु:खी व बीमार महसूस करता है।
.शरीर पर लाल धब्बे चेहरे, गर्दन तथा छाती पर होना।
.प्लेटलेट्स 20 हजार से कम होने पर मुहं व प्राइवेट पार्ट से खून आना शुरू होना।
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