`900 से ज्यादा कमरों वाला, युगे युगीन भारत राष्ट्रीय संग्रहालय बनाया जाएगा देश की राजधानी दिल्ली में ;जानें खासियतें
नई दिल्ली, 29 जुलाई। भारत में बहुत जल्द दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय बनने वाला है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, युगे युगीन भारत राष्ट्रीय संग्रहालय को देश की राजधानी दिल्ली के नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में बनाया जाएगा। अगर इस संग्रहालय की खासियत के बारे में बात करें तो आठ विषय गत खंड होंगे जो भारत का 5 हजार साल पुराना इतिहास बताएंगे। इतना ही नहीं, इसमें 9 सौ अधिक कमरे भी होंगे।
अधिकारियों ने बताया कि युगे युगीन भारत राष्ट्रीय संग्रहालय 1.17 लाख वर्गमीटर में फैला होगा। इस तीन मंजिला संग्रहालय में 950 कमरे होंगे। इसके अलावा एक बेसमेंट होगा।
26 जुलाई को की थी घोषणा
गौरतलब है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जुलाई को दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र (आईईसीसी) परिसर राष्ट्र को समर्पित किया था। इसी दौरान युगे-युगीन भारत राष्ट्रीय संग्रहालय की घोषणा की थी। फिलहाल, यह नहीं बताया गया है कि यह संग्रहालय कब तक बनकर तैयार होगा।
संग्रहालय का वर्चुअल वॉक थ्रू लॉन्च
अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर 18 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के प्रगति मैदान में इस संग्रहालय का वर्चुअल वॉक थ्रू लॉन्च किया था। ये डिजिटल माध्यम से प्रोजेक्ट पूरे होने के बाद गैलरी और उद्यान कैसे दिखेंगे इसका पता चलता है।
जान सकेंगे इतिहास
इस वॉक-थ्रू में भारत की प्राचीन नगर नियोजन प्रणाली (टाउन प्लानिंग सिस्टम), वेद, उपनिषद, प्राचीन चिकित्सा ज्ञान (एन्शियंट मेडिकल नॉलेज), मौर्य से गुप्त साम्राज्य, विजयनगर साम्राज्य, मुगल साम्राज्य, औपनिवेशिक शासन (जब डच, ब्रिटिश, पुर्तगाली और अन्य लोग भारत आए थे) और कई अन्य राजवंशों के शासन का जिक्र किया गया था।
1955 में बना था राष्ट्रीय संग्रहालय
एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहले कहा था कि जनपथ स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय की कलाकृतियों और अन्य संग्रह को अब इसी संग्रहालय में रखा जाएगा। केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने बताया कि मौजूदा राष्ट्रीय संग्रहालय को कर्तव्य पथ का ही एक उप भवन बना दिया जाएगा।
साउथ ब्लॉक में विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय हैं, जबकि नॉर्थ ब्लॉक में वित्त और गृह मंत्रालय हैं। वर्तमान, राष्ट्रीय संग्रहालय भवन की नींव 12 मई, 1955 को प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा रखी गई थी।
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