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ताजमहल के गलत इतिहास को किताबों से हटाने की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में कल सुनवाई

याचिकाकर्ता सुरजीत यादव ने ताजमहल निर्माण के गलत इतिहास की दी अहम जानकारी

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ताजमहल निर्माण और उससे जुड़ी जानकारी को लेकर अहम बातों को इतिहास की किताबों से हटाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस लेने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट में इसके लिए फिर से शिकायतकर्ता सुरजीत यादव हिन्दू सेना समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा फिर याचिका दायर की गई है, जिसको लेकर 3 नवम्बर शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। उक्त विषय में जानकारी देते हुए सुरजीत यादव ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में जब उन्होंने याचिका दायर कर इतिहास की किताबों से लगत बातों को हटाने की मांग की गई थी तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा था इसके लिए आप सरकार के पास जिसके बाद उन्होंने अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली थी और सरकार को इसके बारे में लिखते हुए बताया था कि ताजमहल के सूचना पट व अन्य माध्यम से पता चला है कि ताजमहल का निर्माण 2 वर्षो में हुआ है, जबकि हमे इतिहास की किताबों में बताया गया कि ताजमहल का निर्माण 22 वर्षो में हुआ था, जिससे साफ़ पता चलता है कि इतिहास की किताबों में गलत लिखा गया है, इसको लेकर उन्होंने सरकार को फिर से लिखा लेकिन 9 माह गुजर जाने के बाद भी उन्हें सरकार की तरफ से कोई जवाब नही मिला तो इसके खिलाफ फिर से उन्होंने ताजमहल निर्माण की गलत जानकारीयो को इतिहास की किताबों से हटाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई 3 नवम्बर शुक्रवार को कोर्ट में होगी।

दरअसल एक याचिकाकर्ता सुरजीत यादव के अनुसार किताबों में ताजमहल को लेकर जो इतिहास दिखाया गया है वह पूर्ण रूप से गलत है और उसे जल्द से जल्द हटाया जाए। वहीं ताजमहल की सही उम्र निर्धारित करने और निर्माण के संबंध में दी गई गलत जानकारी को भी हटाने के लिए एसआई को निर्देश देने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर साह और सिटी रवि कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि यह किस तरह की जनहित याचिका है पीठ ने कहा कि अदालत कैसे तय करेगी कि किताबों में दिए गए ऐतिहासिक तथ्य सही है या गलत। इसके लिए उन्होंने सरकार के पास जाने के लिए कहा था, लेकिन वहां कोई जवाब नही मिलने पर हाईकोर्ट में इसकी याचिका दाखिल की गई है।

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