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47 वर्षों बाद देश हित में मोदी सरकार ले रही अहम फेसले : अशोक यादव

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1971 के बाद केंद्र में मोदी सरकार ने घुसपेठियो पर लगाम लगाने को लेकर कड़े और उचित कदम उठाने को हिम्मत जुटाई है जिसको लेकर असम राजनीती पर विपक्ष का हंगामा चिंताजनक और आश्चर्यजनक भी है 47 वर्षो बाद किसी सरकार ने पहली बार घुसपेठ पर अपने तेवर तल्ख किये है जोकि अब होता दिख रहा है

असम में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान के लिए नागरिकों का रजिस्टर बनाने की प्रक्रिया राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते समय किए गए एक समझौते का हिस्सा थी। इस समझौते के तहत मार्च 1971 के बाद बांग्लादेश से आए लोगों की पहचान करनी थी। यह प्रक्रिया इस समझौते का एक अहम हिस्सा होने के बाद भी उस पर किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया। असम में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और उसकी निगरानी में तैयार किए गए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी के अंतिम मसौदे के प्रकाशन के बाद तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी राजनीतिक दलों ने जिस तरह राजनीतिक हंगामा खड़ा किया वह हैरान करने वाला भी है और यह बताने वाला भी कि राजनीतिक दल वोट बैंक की सस्ती राजनीति के लिए किस हद तक जा सकते हैं।

असम की एक के बाद एक सरकारों के साथ केंद्रीय सत्ता की भी हीलाहवाली के चलते यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया। उसने असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर तैयार करने का निर्देश दिया। 2016 में असम में भाजपा सरकार बनने के बाद यह रजिस्टर तैयार करने की प्रक्रिया आगे बढ़ सकी। इसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट ने की

1971 में बांग्लादेश की आजादी के लिए हुए युद्ध के बाद जब माना जा रहा था कि वहां से घुसपैठ थम जाएगी तब वह पहले की तरह कायम रही।.

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